नई दिल्ली। शुक्रवार 13 मई 2022 की शाम हुए मुंडका हादसे पर हर ओर अफसोस जाहिर किया जा रहा है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत देश भर से लोगों द्वारा हादसे पर संवेदना जताई जा रही है। इस बीच यह बात सामने आयी है कि अव्यवस्थाओं पर अगर ध्यान दिया गया होता तो शायद इस तरह की घटना न होती और 27 बेगुनाह लोगों की जान न जाती।
हादसे में जो 27 लोग असमय मौत का शिकार हुए हैं वे अपने परिवार और बच्चों का पेट पालने के लिए सीसीटीवी फैक्ट्री व अन्य दफ्तरों में नौकरी करने आये थे।
जो जानकारी सामने आयी है उसके मुताबिक इस तीन मंजिला काम्प्लेक्स के मालिक हरीश गोयल और वरुण गोयल हैं। इन लोगों ने कामर्शियल काम्प्लेक्स का निर्माण मानक के अनुरुप नहीं कराया था। इसी वजह से फायर विभाग ने एनओसी नहीं दी थी।
काम्प्लेक्स में ग्रांउड फ्लोर पर सीसीटीवी की फैक्ट्री थी। इस फैक्ट्री में शार्ट सर्किट के कारण आग लगी और देखते ही देखते पूरा काम्प्लेक्स आग का गोला बन गया।
अधिक स्थान न होने के कारण लोग बाहर नहीं निकल सके और हादसे का शिकार हो गये। बाहरी जिला दिल्ली के डीसीपी समीर शर्मा ने बताया कि बिल्डिंग में फंसे लोगों को जेसीबी के सहारे नीचे उतारा गया। कुछ लोग जान बचाने के लिए बिल्डिंग से नीचे कूद गये और घायल हो गये।
भीषण गर्मी और बढ़ते तापमान के बीच भी प्रशासन ने लगातार घट रही अगलगी की घटनाओं से कोई सबक नहीं लिया। देश की राजधानी दिल्ली जैसे स्थान पर बगैर फायर विभाग के एनओसी के कामॢशयल काम्प्लेक्स का संचालन होना बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। इससे साफ हो रहा है कि प्रशासन अपनी जवाबदेही की भूमिका नहीं अदा कर रहा है।
बताया गया कि सीसीटीवी फैक्ट्री में काफी संख्या में मजदूर काम कर रहे थे। इमारत में प्रवेश और निकास एक ही होने से बचाव कार्य जल्द शुरू नहीं हो सका। जगह काफी कंजस्टेड होने से रेस्क्यू ऑपरेशन में भारी परेशानी आई।
फायर विभाग दिल्ली के डिवीजनल आफिसर सतपाल भारद्वाज ने बताया कि इस इलाके में उचित भवन नहीं थे इसलिए इस इमारत का एनओसी नहीं दिया गया। इन्हें फायर की तरफ से भी एनओसी नहीं मिला।
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