पत्रकारिता एक समर्पित कार्य है और पत्रकार एक जिम्मेदार व्यक्ति है। यदि हमें स्वच्छ पत्रकारिता का विकास करना है तो पत्रकारिता के क्षेत्र में अनाधिकृत घुसपैठ को समाप्त करना होगा, प्रचार मूल्यों को पीछे धकेल कर पत्रकारिता को जीवन, समाज, संस्कृति और कला का स्वच्छ दर्पण बनाना होगा।
इसे जीवन के मूल्यों से जोडऩा है और किए गए कर्मों का प्रतीक बनाना है। यह भारत के लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को अतीत से शिक्षा लेकर वर्तमान को समझना होगा और भविष्य का मार्गदर्शन करना होगा, तभी हम सही मायनों में पत्रकारिता दिवस मना पाएंगे।
हर साल 30 मई का दिन आता है और चला जाता है। पत्रकारिता के इतिहास में एक साल और जुड़ जाता है। यह इतिहास बहुत लंबा नहीं है क्योंकि पंडित जुगल किशोर का जन्म 30 मई को कानपुर में इसी गंगा की रेती में हुआ था। इसलिए हम 30 मई को पत्रकारिता दिवस मनाते हैं। पत्रकार हर पल अपनी जान-माल की खतरे में हैं, लेकिन कलम के रखवाले अपनी कलम की रोशनी से पूरी पत्रकारिता जगत को रोशन करते रहते हैं।
देश के गद्दार, भ्रष्ट, अवैध व्यवसायी पत्रकारों को मु_ी में बंद करने की चालें, कलम की कुशलता को दबाने की कोशिश करते रहते हैं, लेकिन इन सब की परवाह किए बिना वे सभी चुनौतियों को सहर्ष स्वीकार करते हैं और देश का चौथा स्तंभ बन जाते हैं। स्तम्भ को मजबूत रखने के लिए सभी स्वार्थों का त्याग करते हुए पत्रकार अपनी कलम से भ्रष्टाचारियों के चेहरों को बेनकाब करते हैं।
प्रिंटिंग मशीन का आविष्कार जोहान्स पुटनबर्ग ने 1490 में किया था। 16वीं शताब्दी में एक व्यापारी ने वही मशीन खरीदी और अखबारों को छापना शुरू किया जिसका नाम इलेक्शन था। भारत में पहली बार पुर्तगालियों ने गोवा के अंदर छपाई का काम शुरू किया। 1780 से 1818 तक बंगाल से समाचार केवल अंग्रेजी में प्रकाशित होते थे। उन पत्रों के माध्यम से पत्रकार अधिकारियों के भ्रष्टाचार, सत्ता के दुरुपयोग और कंपनी की नीतियों में निहित स्वार्थों की आलोचना करने में असफल नहीं हुए।
इस बीच, हिंदोस्थान नामक एक समाचार पत्र, जो लंदन में अंग्रेजी में प्रकाशित हुआ था, को कालाकांकर प्रतापगढ़ लाया गया था। 1880 में राजा रामपाल सिंह द्वारा और यह हिंदी और अंग्रेजी दोनों संस्करणों में प्रकाशित हुआ था, यह हिंदी क्षेत्र से प्रकाशित होने वाला पहला हिंदी दैनिक था। इसके संपादक पंडित मदन मोहन मालवीय मालवीय थे।
1942 में दैनिक जागरण, 1947 में स्वतंत्र भारत, 1947 में नवभारत टाइम्स, 1948 में अमर उजाला, 1951 में युगधर्म, सन्मार्ग 1951, वीर अर्जुन 1954 में, देशबंधु 1956 में, दैनिक भास्कर 1958 में, देशबंधु 1956 में, पंजाब 1964 में केसरी और सहकारी क्षेत्र के जन मोर्चा ने भारत के पत्रकारिता के इतिहास में अमरता प्रदान की।
हमारे जनपद प्रतापगढ़ के अनेक ऋषि-मुनियों ने समाचार पत्र भी निकाले जिनमें प्रमुख रूप से अवध, अतुल, अजय का नाम आता है। बाबू सत्य नारायण सिंह ने न्यूज स्टैंडर्ड और साप्ताहिक लोक मित्र को पंडित राम निरंजन भगवान ने प्रकाशित किया। साप्ताहिक से यात्रा शुरू करने वाला लोकमित्र अब दैनिक हो चुका है। नवंबर 1994 से संतोष भगवान लगातार दैनिक लोकमित्र का संपादन कर रहे हैं।
1986 में ओम निरंकर उपाध्याय द्वारा कमला ज्योति, ओम प्रकाश श्रीवास्तव द्वारा बृज विमला वाणी, अरुण पांडे द्वारा ग्राम सैनिक, मोहम्मद नजीर द्वारा नजीर, गिरीश चंद्र ओझा द्वारा बेल्हा चंद्र, ओम प्रकाश पाण्डेय द्वारा प्रताप गरिमा, हरिशंकर सैनी द्वारा दैनिक अमित मेल, शील गहलोत द्वारा समाचार सावन साहिल का प्रकाशन किया जा रहा है। 26 अगस्त 2017 को साप्ताहिक समाचार पत्र अवध दूत को डॉ अनूप पाण्डेय द्वारा शुरू किया गया था। जुलाई 2021 से लगातार दैनिक समाचार पत्र के रूप में इसका प्रकाशन हो रहा है।
पत्रकारिता दिवस पर दास उन महान स्वतंत्रता सेनानियों और देश की आजादी के लिए शहीद हुए और अखबारों के जरिए देश की आजादी के लिए लडऩे वालों को नमन करते हैं। कई समाचार पत्र संस्कृत, उर्दू और अंग्रेजी भाषा में भी प्रकाशित हुए हैं जिन्होंने राष्ट्र के विकास के लिए काम किया है।
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